PostHeaderIcon खुशबू को महसूस कर जाया करते हैं

आज काफ़ी दिन बाद मैंने अपने ब्लॉग पर लिख रहा हूँ | बहुत सोचा क्या लिखा जाए | तो ख्याल आया उसके बारे में लिखूं जिसे मैंने कभी नही भूल सकता
तो उसके लिए १ शेर :-

कुछ रिश्ते होते हैं "हवाओं" की तरह,
बनके "खुशबू" ज़िन्दगी मैं घुल जाया करते हैं,

कुछ शख्स होते हैं "धुन" की तरह,
बनके "ग़ज़ल" ज़िन्दगी सुरमई कर जाया करते हैं,

जाने क्यूँ जब भी ज़िक्र होता है नाम का आपके,
हम "ग़ज़ल" की "धुन" और "हवाओं" की "खुशबू" को महसूस कर जाया करते हैं.......
धन्यवाद
दीपक श्रीवास्तव

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