PostHeaderIcon याद आते हैं वो दिन |

बस एक बार वापस लौटने का मन करता है |
आज हर वो दिन जीने को मन करता है |
कुछ बुरी बातें जो अब अच्छी लगती हैं |
कुछ बातें जो कल की ही बातें लगती हैं |
अबकी बार क्लास अटेंड करने का मन करता है |
दोपहर की क्लास में आखें बंद करने को मन करता है |
दोस्तों के रूम की वो बातें याद आती है |
एक्जाम के टाइम पे वो हँसी मजाक याद आती है |
कॉलेज के पास वाली तड़ी की चाय याद आती है |
तब की बेकार लगने वाली फोटो चेहरे पे हँसी लाती है |
अपनी गलतियों पे तुमसे दांत खाना याद आता है |
पर तुम्हारी गलती देखने का अब भी मनन करता है |
एक ऐसी सुबह उठने का मनन करता है |
बस एक बार वापस लौटने का मन करता है |
बस एक बार और वापस लौटने का मन करता है |

1 comments:

aarya said...

भाई साहब! जो बीत गयी वो बात गयी, अब आगे कि सुध ले! ये भी किसी विद्वान ने ही कहा था, फिर भी बस एक बार वापस लौटने का मन करता है.