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लतीफे
4:26 AM |
Posted by
Deepak Shrivastava |
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>>
मोहन(राकेश से)- आजकल क्या करते हो?
राकेश (मोहन से)- मैं एक धार्मिक संस्था में उपदेशक हूं।
मोहन- तनख्वाह कितनी मिलती है? राकेश- सौ रुपए महीना।
मोहन- वेतन तो बहुत ही घटिया है।
राकेश- मैं उपदेश ही कौन सा बढि़या देता हूं।
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कपड़े का व्यापारी सो रहा था। उसने सपने में देखा कि एक ग्राहक कपड़ा मांग रहा है और वह नाप रहा है।
अनायास नींद में उसका हाथ चादर पर पड़ गया। वह उसे फाड़ने लगा। यह देखकर उसकी पत्नी चिल्लाई यह क्या कर रहे हो? व्यापारी नींद में ही चिल्लाया- कमबख्त दुकान में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ती।
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संता (बंता से)- तुम सोकर कितने बजे उठते हो? बंता
(संता से)- जब सूरज की किरणें खिड़कियों से होकर मेरे कमरे में आने लगती हैं।
संता (बंता से)- वाह, तुम तो एकदम सुबह उठ जाते हो।
बंता (संता से)- नहीं, दरअसल मेरी खिड़कियां पश्चिम की तरफ खुलती हैं।
मोहन(राकेश से)- आजकल क्या करते हो?
राकेश (मोहन से)- मैं एक धार्मिक संस्था में उपदेशक हूं।
मोहन- तनख्वाह कितनी मिलती है? राकेश- सौ रुपए महीना।
मोहन- वेतन तो बहुत ही घटिया है।
राकेश- मैं उपदेश ही कौन सा बढि़या देता हूं।
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कपड़े का व्यापारी सो रहा था। उसने सपने में देखा कि एक ग्राहक कपड़ा मांग रहा है और वह नाप रहा है।
अनायास नींद में उसका हाथ चादर पर पड़ गया। वह उसे फाड़ने लगा। यह देखकर उसकी पत्नी चिल्लाई यह क्या कर रहे हो? व्यापारी नींद में ही चिल्लाया- कमबख्त दुकान में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ती।
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संता (बंता से)- तुम सोकर कितने बजे उठते हो? बंता
(संता से)- जब सूरज की किरणें खिड़कियों से होकर मेरे कमरे में आने लगती हैं।
संता (बंता से)- वाह, तुम तो एकदम सुबह उठ जाते हो।
बंता (संता से)- नहीं, दरअसल मेरी खिड़कियां पश्चिम की तरफ खुलती हैं।
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1 comments:
दीपक जी, कुछ नए नायाब चुटकुले सुनाओ तो कोई बात बने.
हिन्दी में लिखने के लिए बधाई व शुभकामनाएँ :)
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