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PostHeaderIcon "शायरी-वायरी"

"शायरी-वायरी"॰॰॰ कहने को बस चंद पंक्तिया, पर अपने आप में ना जाने कितनी गहराईयों को छुपाये हुये हैं। शेरो-शायरी को देखने का नज़रिया लोगों का भले ही कुछ भी हो पर ये लिखने वाले के दिल की वो छटपटाहट होती है जिसे वो रात-दिन महसुस करता है। और यही बेचैनी जब शब्दों का रूप ले के उसके कलम से निकलती है तो पढने वाले के दिल को भी झकझोर जाती है और छोड जाती है अपने पीछे कई सवाल जिनके जावाब ॰॰॰॰ शायद कहीं नही होते॰॰॰॰

ऐसा ही १ सवाल है मेरे पास कौन मेरा साथ निभायेगा ???

ढूंढती थी कि कौन मेरा साथ निभायेगा साये की तरह
सोचती थी कि कौन मेरे जज्बातों को समझेगा यहाँ
पर जब खयाल आया उनका जिन्होने हमे कभी अकेला नही छोडा
तो लगा इन ' तन्हाइयों ' से अच्छा साथी मुझे मिलेगा कहाँ???

शिप्रा मिश्रा

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